जय त्यागी
" सत्यम् शिवम् सुंदरम् "
Saturday, August 15, 2015
ॐकार
Sunday, August 2, 2015
सावन में शिव भक्ति (सोमवार विषेशांक )
सावन मास का पहला सोमवार भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का दिन है। सोमवार चन्द्रमा का दिन है। भोलेनाथ की जटाओं में चन्द्रमा का विद्यमान होना इसका स्पष्ट प्रमाण है। चन्द्रमा को जल-तत्व का ग्रह माना गया है। शीतलता चन्द्रमा का प्रधान गुण है। समुद्र मंथन के बाद निकले हलाहल बिष से जब हाहाकार मच गया तब संसार के कल्याण के लिए भगवान शंकर ने विषपान कर उसे अपने कंठ में उतार लिया,
तब से उन्हें नीलकंठ कहा जाता है।
भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए सावन के सोमवार का विशेष महत्व होता है | मान्यता है कि सावन के सभी सोमवार को शिव की पूजा करने पर मनोकामना पूरी होती है |
सावन के पहले सोमवार की पूजा विधि –
सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, ऑक मदार, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ ही भोग के रूप में धतूरा, भाँग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है।
प्रात: और सांयकाल स्नान के बाद शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और नंदी जी पूजा करें। चतुर्थी तिथि होने से श्री गणेश की भी विशेष पूजा करें।
पूजा में मुख पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर रखें। पूजा के दौरान शिव के पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय और गणेश मंत्र जैसे ॐ गं गणपतये बोलकर भी पूजा सामग्री अर्पित कर सकते हैं।
पूजा में शिव परिवार को पंचामृत यानी दूध, दही, शहद, शक्कर, घी व जलधारा से स्नान कराकर, गंध, चंदन, फूल, रोली, वस्त्र अर्पित करें। शिव को सफेद फूल, बिल्वपत्र, सफेद वस्त्र और श्री गणेश को सिंदूर, दूर्वा, गुड़ व पीले वस्त्र चढ़ाएं।
बेलपत्र, भांग-धतूरा भी शिव पूजा में चढ़ाएं। शिव को सफेद रंगे के पकवानों और गणेश को मोदक यानी लड्डूओं का भोग लगाएं।
भगवान शिव व गणेश के जिन स्त्रोतों, मंत्र और स्तुति की जानकारी हो, उसका पाठ करें।
श्री गणेश व शिव की आरती सुगंधित धूप, घी के पांच बत्तियों के दीप और कर्पूर से करें।
अंत में गणेश और शिव से घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामनाएं करें।
सावन के पहले सोमवार को शिव पूजा में भगवान शिव को कच्चे चावल चढ़ाने का विशेष महत्व है।
इस स्त्रोत से प्रसन्न होंगे शिव—
नीचे लिखे शिव पंचाक्षर स्त्रोत से यदि शिवजी की उपासना की जाए तो भगवान शंकर अति प्रसन्न होते हैं।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥
वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:॥
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:॥
पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
शिव पंचाक्षर स्त्रोत भक्तों की हर मनोकामना पूरी करता है।
Saturday, August 16, 2014
राधे कृष्णा
श्री कृष्ण कहते हैं -
"जो तुम हो वही मैं हूँ हम दोनों में किंचित भी भेद नहीं हैं।
जैसे दूध में श्वेतता, अग्नि में दाहशक्ति और पृथ्वी में गंध रहती हैं
उसी प्रकार मैं सदा तुम्हारे स्वरूप में विराजमान रहता हूँ।"
"श्रीराधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर घनश्याम।
करहुँ निरंतर बास मैं, श्री वृन्दावन धाम॥"
राधा नाम की महिमा का स्वयं श्री कृष्ण ने इस प्रकार गान किया है-
"जिस समय मैं किसी के मुख से ’रा’ अक्षर सुन लेता हूँ, उसी समय उसे अपना उत्तम भक्ति-प्रेम प्रदान कर देता हूँ और ’धा’ शब्द का उच्चारण करने पर तो मैं प्रियतमा श्री राधा का नाम सुनने के लोभ से उसके पीछे-पीछे चल देता हूँ"
आधौ नाम तारिहै राधा।
र के कहत रोग सब मिटिहैं, ध के कहत मिटै सब बाधा॥
राधा राधा नाम की महिमा, गावत वेद पुराण अगाधा।
अलि किशोरी रटौ निरंतर, वेगहि लग जाय भाव समाधा॥
"जय श्री राधेकृष्णा"
Sunday, August 10, 2014
ईश्वर
"ॐ हरि ॐ " ईश्वर
चेतना की वह शक्ति है जो ब्रह्माण्ड के भीतर और बाहर जो कुछ है, उस सब में संव्याप्त है ।।
उसके अगणित क्रिया कलाप हैं जिनमें एक कार्य इस प्रकृति का- विश्व व्यवस्था का संचालन भी है ।।
संचालक होते हुए भी वह दिखाई नहीं देता क्योंकि वह सर्वव्यापी सर्वनियंत्रक है ।।
ईश्वर में विश्वास भय से मुक्त करता है । ईश्वर में अति विश्वास और अपार श्रद्धा से मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिलती है ।।
जल की एक बूँद को महासागर से क्या भय; महासागर में गिरकर बूँद का अस्तित्व महासागर में विलीन हो जायेगा । बूँद भी महासागर बन जायेगी ।।
हिन्दुत्व का सर्वोच्च विचार प्रलय से भी भयभीत नहीं है क्योंकि उस समय कर्मफल से सबको मुक्ति मिल जाती है ।
"ॐ भगवते वासुदेवाय नम:"
Saturday, August 9, 2014
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन पर्व
भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है
इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती हैं
और भाई अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हुए अपना स्नेहाभाव दर्शाते हैं।
राखी बंधवाते समय इस मंत्र का उच्चारण करें ..
येन बद्धो बलि: राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चलः॥
रक्षा बंधन की पौराणिक कथा..
देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होते नज़र आने लगे।
भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहां बैठी इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी।
उन्होंने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया।
संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे।
उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है।
यह धागा धन,शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है।
ॐ श्री भगवते वासुदेवाय नम:
Thursday, August 7, 2014
तिरंगा
"कुछ नशा तिरंगे की आन का है
कुछ नशा मात्रभूमि की शान का है
हम लहराएंगे हर जगह तिरंगा
नशा ये हिंदुस्तान की शान का है "
मेरी जान तिरंगा हैं
ये आन तिरंगा है,
ये शान तिरंगा है,
मेरी जान तिरंगा है,
ये आन तिरंगा है,
ये शान तिरंगा है,
मेरी जान तिरंगा है,
अरमान तिरंगा है,
अभिमान तिरंगा है,
मेरी जान तिरंगा है,
ये आन तिरंगा है,
ये शान तिरंगा है,
याद शहीदोँ की आएगी जब ये ध्वज लहराएँगे
जब ये ध्वज लहराएँगे,
इसके तीनो रंग कयामत
सदियोँ तक लहराएँगे,
आजादी जिनके दम से है
उनका नाम बड़ाएँगे,
उनकी कुरबानी को यारो
हरगिज नहीँ लजाएँगे,
विश्वाश तिरंगा है
वरदान तिरंगा हैै
मेरी जान तिरंगा है,
इसके खातिर कसम है हमको
अपना शीश कटा देँगे,
जितना भी इस जिस्म मेँ बाकि
सारा लहू बहा देँगे,
इसे खातिर जो हम ठानेँगे
करके हम दिखला देँगे,
अपनी धरती के आगे हम
सारा गगन झुका देँगे,
ईमान तिरंगा है
भगवान तिरंगा है,
मेरी जान तिरंगा है
मेरी शान तिरंगा है ।।

